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कंचनपुरके थारु साहित्यके इतिहास

 कंचनपुरके थारु साहित्यके इतिहास ओट्रा लम्मा नैहो । अनुसन्धान करेबेर शुक्लाफाँटा–७ झण्डाबोझीके हिमाली चौधरीक् कृष्ण अस्टिम्किक् गीत–२०६१ कंचनपुरके पहिल पोस्टा ठहरठ् ।

कंचनपुरके थारु साहित्यके इतिहास


२०७५ साल वैशाखमे अस्रा गजल संग्रह निकारके अपन साहित्यकारितामे पहिचान बनैटि पुनर्वास–२ अमरहिया, कंचनपुरके संगम चौधरी फेंन डोस्रे अपन लावा घर कथा संग्रह लेके ठहर््याइल बटैं । द्वापर युगमे राम लक्ष्मण ओ सीता १२ बरस बनिवाँस खान्डके अपन दरबार लौटल रहिंट । ओस्टके कहेहस कंचनपुरमे फेंन डुस्रा कथा संग्रह निक्रक लग १५ बरस बटिया लागे परल ।


संगम चौधरीसे पहिले २०६२ सालमे शुक्लाफाँटा–३ जोन्हाँपुरके कल्पना चौधरीक् उज्रल घर डुवार कथा संग्रह प्रकाशित हुइल बा । कंचपुरके थारु साहित्यिक इतिहास खिट्कोर्ना हो कलेसे पुनर्वास–२ मोतिबस्तीक् अशोक चौधरीक् मनके आवाज गजल संग्रह–२०७० छपल बिल्गाइठ । ओस्टके कृष्णपुर–६ सिंहपुरके जोगराज चौधरीक् अस्टिम्किक् गीत–२०७३ फेंन छपल बा ।




कंचनपुरसे अभिनसम एक्केठो किल थारु भासक् सुमिरन बार्सिक पत्रिका सागर कुस्मीके प्रकासन ओ सम्पादनमे आइल आइल बा । थारु भासा साहित्य जोर डेटि आइल इ पत्रिका फेन घुस्करिया कर्टि बा । इ खुसिक बात हो कि कंचनपुरसे फेन पत्रिका निकरल बा कना कंचनपुर बासी गर्व करे सेक्ना अवस्था बा ।


गजल, मुक्तक विधामे युवा स्रस्टा फाटफुट रुपमे कलम चलैलेसे फेंन अभिन आख्यान विधा ओर ओट्रा डटल नैबिल्गैठैं । । २०७४ सालमे सिर्जल मुक्तक संग्रह निकारके अपन थारु भाषा साहित्यहे सेवा कर्टि आइल कृष्णपुर–६ सिंहपुरके साफी चौधरी निबन्ध लेखनमे जमके कलम चलैटी आइल बटि । हुँकार निबन्ध पहर्के आस करे सेक्जाइ कि अइना दिनमे कुछ महिला लेखक लोग फेंन जरुर जन्महि ।




संगम चौधरीक् यि लावा घर कथा संग्रह हुँकार डुस्रा कृति हुइन । एक्के सालमे २ ठो कृति निकर्ना बहुट कर्रा काम हो । साहित्य लिख्ना महा साँसट हो । असिन अवस्थामे फेंन संगम अपन कलमहे डौराइठ डेख्के खुशी लागल बा । थारु साहित्यमे एकठो बख्खारी बान्ढ जाइटा ।


यि कथा संग्रहमे १२ ठो कथा गुँठल बा । जहाँ जिन्गिक् हर मेरिक दुःख, पिरा, व्यथाके चित्र खिंचल बा । गाउँ घरक् समस्या, गरिबके कारण पाइल दुःख बेदना समेटल बा । यि कथा संग्रहमे १२ ठो कथा मन्से लावा घर शीर्षक कथा पारिवारीक कथा हो । जिन्गी गुजारक् लाग हरेक मेर्के सपना रठिन परिवारके सदस्यन्के, जिउ ज्यान डेके फेंन बाधा समस्या अइटि रठिन । गीता ओ विपिनके भूमिकाके रोल बा लावा घर कथा भिट्टरके पात्र लोगनके ।




ओस्टके अच्कचरे सपनामे हरेक मनैन्के कुछ करुँ कना चाहना रहठ । कुछ मजा काम कैके डेखाउँ कना चाहना रहठ । कुछ मजा काम कैके डेखाउँ कना सोनियाके इच्छा रठिस लेकिन घरक् मनै साथ नैडेके ओकर सारा सपना चकनाचुर होके माटिमे मिल्जैठिस ।


दिनेश, विजय ओ रबिनाहे पात्र बनाके सिर्जाइल बिडाइ कथामे लवन्डी लवन्डाके प्रेम कहानी हो । अपन ठरुवाहे छोर्के डोसर ठरुवाहे लेके पाछे जाके दुःख भोगल कथा बा । रगतके रंग कथामे मैननके भावना बुझके प्रेम कथा बनल बा । यम्ने काजल ओ अविनाशके रोल बा । धनी गरिब, धर्म, जातपात नैहेर्के मानवीय गुण डर्साइल बा । ओस्टके छाइ कथामे समाजमे नारी फेंन पुरुष सरह होके काम करे सेक्ठैं कना चित्रण कैल बा ।




भोज कथामे लवन्डा लवन्डी प्रेम कर्ठैं मने पाछे जाके लवन्डा लवन्डीके सम्बन्ध टुटल बिल्गाइठ यम्ने रमेश ओ रेश्माके गार्ह प्रेम कहानी बा । ओस्टके पटुहिया कथामे समाजमे रहल रीतिरिवाज अन्सार भोजमे माँगर गाइल बा । जौन यि कथाके मजा पक्ष हो । अस्टके यम्ने ठरुवा बिट्लो पर पटुहिया अपन सास ससुरवाहे छावा होके घर सम्हाँरल कथा बा । यम्ने सन्ध्या पटुहिया बन्के अपन भूमिका निभैले बटि ।


अस्टके ठकौनी कथामे पुरान बात फेंन खिट्कोरल बा । पहिलेक जबानामे लर्का जन्मनासे पहिले ठकौनी खाडारिंट । लवन्डिक इच्छा बिना भोज कैके अपन छाइ गुमैलक घटना बा । ओस्टके डाइ कथामे २ ठो टुवर लर्कनके कहानी बा । डाइ परलोक हुइल ओरसे डाडु ओ बाबुके कथा बा । ओस्टके बिस्राइल डगर कथामे एकठो लवन्डी अपन जिन्गीक् डगर भुलाके दुःख पाइल कथा बा ।




अर्पण कथाके पात्र अपन जन्माइल बच्चाहे रातके लवन्डक घरक् अंगनामे छोर्के गैल कहानी रचल बा । ओस्टके अन्तिम सफरमे डेउखरसे छारा कैके बुह्रान आके भुँखे प्यासे जिन्गी बिटाके फेंन घर परिवार मजासे बैठल बात डर्साइल बा ।


अट्रा मेहनत कैके लिखल यि कथा छाइ डाइ पटुहिया भोज कथा अक्के अक्केहस लागठ । सक्कु कथा जोर्लेसे एकठो उपन्यास बन्ना मेर्के कथा समेट गैल बा यम्ने । अभिन फेंन कुछ स्रस्टा लोगनके अध्ययनके कमिसे खोजलहस कथा आइ नैसेकठो । हमार समाजमे गाउँ घरमे अभिन शिक्षाके चेतनाके कमि बा । बेरोजगार ढेर बा । अइसिन कथाहे सिमोट्ना जिम्मा आइल बा आब । अपन डाइ बाबा कैसिक पह्रैलैं, कैसिक बहै्रलै कथा आइठ कलेसे आकुर डमडार हुइना रहे । भ्रष्टाचार, अन्याय, दमन, शोषण सहके कमैयाँ, कम्लहरीके कथा पेंmन लिख्ना कथाकारके कन्ढम आइल बा । जेडासे प्रेम कथा सिमोटल यि संग्रह पठनीय टे बा बा ओकर संगसंगे अभिन थारु समुदायमे घटल घटनाके कथा कमे आइटा ।




लोक साहित्यमे धनी थारु समुदायके भिट्टर रहल बट्कुही खोज अनुसन्धान कैके लिखित रुपमे ढैना जरुरी बा । समयके बावजुद फेंन यि पंक्तिकारहे भूमिका लिख्ना मौका डेलकमे कथाकार संगम चौधरीहे सैगर सम्झना बा । अझकल लगटार रुपमे थारु लोक संस्कृतिमे कलम चलैटि आइल रविता चौधरीसे फेन अइना दिनमे लावा कृति आइ कना आस करे सेक्जाइ । जैटि जैटि अइना दिनमे यिहिसे चारगुणा मेहनत कैके टिस्रा कृति हलि निकारिंट सैगर शुभकामना ।

सागर कुस्मी ‘संगत’

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