कठैं मैयाँ जिन्गि हो । मैयाँ मे दुनिया चलटा सायद मैयाँ नैरहट टे इ दुनिया भसम होरहट । मनै पसु पन्छि सब जहन देख्बो मैयाँ सांटिक सांटा कर्थैं । मैयाँ के बयान करेबार बहुट कुछ हम्रे जीव जनावर पसु पन्छिनके बाट आइट ओ मैयाँ करे सिख्ठि फेन । जे मैयाँ करे नै जानाट उ दनाब हो कठि काहे कि उ मैयाँ करे नै जानट मने दोसरके नोक्सा किल सोचट । हर कोइ मेलमिलाप, सान्ति, माया, दया, खुशि चाहट । दुई दिनके जिन्गि बा आज हो या काल किहनो पटा नै हो ।
उहे मारे हर कोइ जीवन कोइ जिन्गिम आनन्द, सान्ति, माया चाहट । मनैन मे धेर रुपया, मजा घर ओ मजा मजा लुगरा कपरा, मिठ मिठ खैना पिना होके किल नै पुगठ, जियक लाग समाज ओ मनोरंजन के फेन जरुरट परट । मन बहलाइक लाग कैअडरिक खेल-लौटंकि, गित-नाच के ओत्रे जरुट परठ । आँखि बा मजा मजा चिज हेर्नास लागट । कान बा मजा मजा चिज सुन्नास लागट । सरिरके इच्छा किल नाहि मनक इच्छा फेन पूरा करेपरट । मन के इक्षा पूरा करकलाग धेरमेरिक मनक भावना रहल लेख रचना रिर्जे पुगट । उहे एक डोसरके मनक भाव बिचार सुनके जिन्गिक् डग्गरमे फुन्ना लागे पुगट । जेकर कारन जिन्गि सुहाओन लागट ।
अस्टके आर. के. स्वागत जिके मनक भावना गजल के लयमे बिट्कोरे जाइटुँ ।
कमजोर ना सम्झहो छैली बल्गर बा मोर मैयाँ ।
सयौं जहन टिक्ना मेर सल्गर बा मोर मैयाँ ।।
जहाँ विश्वास उहाँ मैयाँ ढकढिउरी फेन उहे
कडेरिक् ढर्टिहस् नाई मल्गर बा मोर मैयाँ ।
शंकासे लंका जरठ विश्वासमे गरल जिन्गी
टुँ मानो या ना मानो डल्गर बा मोर मैयाँ ।
रुपके का बयान हृदयक भावना फेन बुझ्लु
मनमुटुसे टुहिन चहलुँ भल्गर बा मोर मैयाँ ।
टुँ बाहेक कोइ नै पहिला ओ अन्तिम रोजाई
कैसिन प्यार बझइलो झल्गर बा मोर मैयाँ ।
आर. के. स्वागत
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